LRC歌词

लाख शब्द भी कम जब मोल रहता नही,
मैं तेरी आंखों में बस ठहरा हूं बहता नही,
वो बस डर है दुनिया का, है कोई पहरा नही,
या शायद है बाहर रुका शैतान कोई।
काश ये आंखे भी चाहकर कुछ कह पाती,
खैर, मेरी रहना शायद है काफी।
तू बोले ना पर मेरी नज़रे तो है पारखी,
जो देखे गिरते तुझे बाकी काफी गहराई

तू शायद समझेगा मोल मेरा नही,
पर तेरे बिना कोई मोल मेरा नही,
हरपल हो खुश ,कोशिश है यही
तेरा गम मिटे, खोके ही सही


ऐसा नहीं कि मैं खुशियों से दूर भागू,
पर जब ढूंढूं, तुझको ही क्यों ताकु,
मन करता है कभी तो मैं भूल जाऊ,
बस यूं ही बैठा राहु, बाहर मैं क्यों झाकू?
मैं क्यू हूं जानू ना अनजान बनके जान देदू,
आलम ऐसा, खाली पन्नो में अल्फाज देखू,
बातें छुपाने की है कोशिश ये हमराज से क्यूं
नया सवेरा दिखता, पर बस रात में क्यू?
तू काफी खोया है और लाज़मी भी,
तू काफी रोया मेरी आपबीती,
मैं गिरा था जब तूने आंख मिची
बस तेरा गम और उस ख्वाब की चींख

तू शायद समझेगा मोल मेरा नही,
पर तेरे बिना कोई मोल मेरा नही,
हरपल हो खुश ,कोशिश है यही
तेरा गम मिटे, खोके ही सही (X२)

तेरा आना लाज़िम,जानता ना कोई
कैसे वो काली आंखे आफताब में खोई
अगर निकलता ही न शीशों से बाहर
होता बेहतर, ना होती रूह रात भर वो रोई।

किधर मैं आज गायब हूं?
ये काली मेरी काया क्यू?
बस जाता जारा साया दूर,
कहानी का खलनायक हूं।
तू खुदसे हारा, गुस्से कारण
खुदके हाथों, लुटते जारा,
शून्य का, ये युद्ध आरंभ,
तुझको देना, खुदको मात अब।

मैं केवल तेरा आंसू ना चाहूं आना बाहर
में केवल तेरा आंसू ना चाहूं आना बाहर
(X२)

文本歌词

लाख शब्द भी कम जब मोल रहता नही, मैं तेरी आंखों में बस ठहरा हूं बहता नही,वो बस डर है दुनिया का, है कोई पहरा नही,या शायद है बाहर रुका शैतान कोई।काश ये आंखे भी चाहकर कुछ कह पाती,खैर, मेरी रहना शायद है काफी।तू बोले ना पर मेरी नज़रे तो है पारखी,जो देखे गिरते तुझे बाकी काफी गहराई तू शायद समझेगा मोल मेरा नही,पर तेरे बिना कोई मोल मेरा नही,हरपल हो खुश ,कोशिश है यहीतेरा गम मिटे, खोके ही सहीऐसा नहीं कि मैं खुशियों से दूर भागू,पर जब ढूंढूं, तुझको ही क्यों ताकु,मन करता है कभी तो मैं भूल जाऊ,बस यूं ही बैठा राहु, बाहर मैं क्यों झाकू?मैं क्यू हूं जानू ना अनजान बनके जान देदू,आलम ऐसा, खाली पन्नो में अल्फाज देखू,बातें छुपाने की है कोशिश ये हमराज से क्यूंनया सवेरा दिखता, पर बस रात में क्यू?तू काफी खोया है और लाज़मी भी,तू काफी रोया मेरी आपबीती,मैं गिरा था जब तूने आंख मिचीबस तेरा गम और उस ख्वाब की चींखतू शायद समझेगा मोल मेरा नही,पर तेरे बिना कोई मोल मेरा नही,हरपल हो खुश ,कोशिश है यहीतेरा गम मिटे, खोके ही सही (X२)तेरा आना लाज़िम,जानता ना कोईकैसे वो काली आंखे आफताब में खोईअगर निकलता ही न शीशों से बाहरहोता बेहतर, ना होती रूह रात भर वो रोई।किधर मैं आज गायब हूं?ये काली मेरी काया क्यू?बस जाता जारा साया दूर,कहानी का खलनायक हूं।तू खुदसे हारा, गुस्से कारणखुदके हाथों, लुटते जारा,शून्य का, ये युद्ध आरंभ,तुझको देना, खुदको मात अब।मैं केवल तेरा आंसू ना चाहूं आना बाहरमें केवल तेरा आंसू ना चाहूं आना बाहर (X२)

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